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शहीद सीआरपीएफ़ जवान को सलामी देने उमड़ा जन सैलाब, सांसद- विधायक सहित बड़ी तादाद में लोग रहे मौजूद

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गोरखपुर। सीआरपीएफ के हवलदार चौरीचौरा क्षेत्र के गौनर, रमदसहा निवासी धर्मदेव पासी की तैनाती उड़ीसा के रामगढ़ जिले में थी। 29 दिसम्बर ड्यूटी जाते समय नक्सली हमले में शहीद हो गए। तब उनका शव भी सुरक्षा बलों को नहीं मिला। 22 फरवरी को उनका शव कंकाल के रूप में मिला। शुक्रवार को जब उनका पार्थिव शरीर लेकर जवान घर पहुँचे तो कोहराम मच गया।

शहीद को नमन करने के लिए हजारों की तादाद में लोग उनके घर पहुंचे। सांसद, विधायक और वरिष्‍ठ अधिकारियों ने भी शहीद के घर पहुंचकर परिवारीजनों को ढांढस बंधाया और शहादत के प्रति अपना सम्‍मान प्रकट किया। इस दौरान लोग भारत माता के जयकारे भी लगाते रहे। उनकी पत्नी अनारी ने बताया 29 दिसम्‍बर 2019 को दोपहर में 12:30 बजे धर्मदेव से बात हुई थी। तब उन्होंने कहा था कि सीआरपीएफ कैंट से हेडक्वार्टर ड़यूटी करने जा रहे हैं। लेकिन 1:30 बजे दोबारा फोन करने पर मोबाइल स्विच ऑफ हो गया था। वह लगातार फोन करती रहीं लेकिन बात नहीं हो सकी। उन्होंने हेडक्वार्टर से सम्पर्क किया तो पता चला कि वह डयूटी स्थल पर पहुंचे ही नहीं हैं। तब पत्नी ने फोन पर उनके साथियों से संपर्क किया। सथियों ने बताया कि हवलदार धर्मदेव पासी रामगडा हेडक्वार्टर के लिए ड़यूटी पर निकले थे।

धर्मदेव के बेटे राकेश ने तीन दिन तक लगातार फोन से सम्पर्क किया। कोई जानकारी न मिलने पर चाचा रामसिगारे के साथ उड़ीसा पहुंचा। वहां कैंट थाने में पिता की गुमशुदगी दर्ज कराई। दस दिन तक वहीं रहकर अपने पिता की तलाश किया। कई दिनों बाद लौट कर वापस घर आ गया। राकेश फिर से फरवरी के पहले हफ्ते में अपने मामा ओमप्रकाश, सदावृक्ष और जनार्दन के साथ अपने पिता को ढूंढने उड़ीसा पहुंच गया। इस बीच हेडक्वार्टर से लगातार संपर्क रहा।खुद भी मामा के साथ अपने पिता की तलाश करता रहा। 22 फरवरी को उसके मोबाइल पर हेडक्वार्टर से फोन आया कि धर्मदेव का शव हेडक्वार्टर से 15 किलोमीटर दूर झाड़ी में मिला है। लेकिन शव पूरी तरह से कंकाल में तब्दील हो गया है। उनकी पहचान उनके कपड़े और आईकार्ड से हुई है। राकेश को बताया गया कि शायद नक्सलियों ने उनकी हत्या कर दी है। शव को चौरीचौरा उनके घर के लिए रवाना कर दिया गया।

धर्मदेव मूलरूप से देवरिया के एकौना के पचौली वटलिया के निवासी थे। वह 1991 में सीआरपीएफ बटालियन बी कम्पनी रामगडा उड़ीसा मे बतौर कांस्टेबल भर्ती हुए थे। इस समय हवलदार पद पर तैनात थे। धर्मदेव, पांच भाईयों में सबसे छोटे थे। उनकी शादी चौरीचौरा क्षेत्र के गौनर रमदसहा हुई थी। उसी दौरान उन्होंने ससुराल में जमीन खरीद कर मकान बनवा लिया था। पूरा परिवार रमदसहा रहा था। धर्मदेव अपने पीछे तीन बेटियां रिकी (24), सुमन (19), सोनी (17) और बेटा राकेश (23) को छोड़ गए हैं। शहीद को नमन करने के लिए सांसद कमलेश पासवान, विधायक संगीता यादव, कांग्रेस की जिला अध्यक्ष निर्मला पासवान, ब्लाक प्रमुख सुनील पासवान सहित कई लोग मौजूद रहे।

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