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गोरखपुर। प्रदेश में संभवत: यह पहला अवसर होगा जब किसी एक जनपद में एक ही दिन दो विश्वविद्यालयों की सौगात मिलने जा रही हो, वह भी राष्ट्रपति के हाथों से। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से 28 अगस्त को भविष्य के लिए यह इतिहास स्वर्णाक्षरों में दर्ज होने जा रहा है। इस दिन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद गोरखपुर जनपद के भटहट ब्लॉक के पिपरी-तरकुलहा में राज्य के पहले आयुष विश्वविद्यालय की आधारशिला रखेंगे। साथ ही उनके कर कमलों से गोरक्षपीठ के अधीन संचालित गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय सोनबरसा मानीराम का लोकार्पण भी होगा। सेवा और स्वावलंबन आधारित उच्च व दक्षतापूर्ण शिक्षण के ये दोनों ही संस्थान शिक्षा के साथ ही चिकित्सा के क्षेत्र में पूर्वांचल की पहचान को नया आयाम देंगे।
कुल चार विश्वविद्यालय, हजारों लोगों को मिलेगा रोजगार
दो नए विश्वविद्यालयों की सौगात मिलने के साथ ही गोरखपुर की शैक्षिक उपलब्धियों में कुल चार विश्वविद्यालय हो जाएंगे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की पहले से विशेष ख्याति रही है। अब महायोगी गुरु गोरक्षनाथ के नाम पर दो नए विश्वविद्यालय गोरखपुर को ‘सिटी ऑफ नॉलेज’ बनाने में बड़ी भूमिका निभाएंगे। गौरतलब हो कि एक विश्वविद्यालय की नींव रखने और दूसरे का लोकार्पण करने आ रहे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 10 दिसम्बर 2018 को भी गोरखपुर आए थे। तब उन्होंने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह समारोह में बतौर मुख्य अतिथि परिषद के शताब्दी वर्ष 2032 तक गोरखपुर को सिटी ऑफ नॉलेज के रूप में प्रतिष्ठित होने की मंशा जताई थी। करीब पौने तीन साल बाद जब वह दोबारा गोरखपुर में होंगे तो उनकी जताई मंशा पर सीएम योगी के प्रयास का परिणाम भी उन्हें दिखेगा। शिक्षा और चिकित्सा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उनके राजनीतिक जीवन के शुरुआत से ही निजी प्राथमिकता का विषय रहा है, उस पर राष्ट्रपति से मिली प्रेरणा। वाकई राष्ट्रपति की मंशा के अनुरूप सीएम योगी के नेतृत्व में गोरखपुर बहुत तेजी से ज्ञान की नगरी बनने की दिशा में अग्रसर है।
गोरक्षपीठ से तीन का जुड़ाव
गोरखपुर में अब होने जा रहे चार विश्वविद्यालयों में से तीन का जुड़ाव गोरक्षपीठ से है। इनमें सबसे पहले गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना का सबसे बड़ा श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दादागुरु और तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ को है जिन्होंने अपने बनाए दो कॉलेज विश्वविद्यालय बनाने के लिए राज्य सरकार को दान में दे दिए थे। 28 अगस्त को राष्ट्रपति के हाथों जिन दो विश्वविद्यालयों का इतिहास सृजित होने जा रहा है, उनमें से एक गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय सोनबरसा मानीराम की स्थापना ही गोरक्षपीठ ने की है। गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में जनसेवा के लिए बनकर तैयार यह विश्वविद्यालय उसी महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद का नया शैक्षिक पड़ाव है जिसकी शुरुआत 1932 में ही महंत दिग्विजयनाथ ने कर दी थी। राज्य के पहले आयुष विश्वविद्यालय की नींव के पत्थर के रूप में भी गोरक्षपीठ का नाम दर्ज रहेगा। इस विश्वविद्यालय का नामकरण महायोगी गुरु गोरक्षनाथ उत्तर प्रदेश राज्य आयुष विश्वविद्यालय किया गया है। इस विश्वविद्यालय की परिकल्पना से लेकर इसे धरातलीय स्वरूप देने का श्रेय सीएम योगी को है जो गोरक्षपीठ के कर्ताधर्ता भी हैं।
भारतीय ज्ञान परंपरा का युगानुकूल प्रतिनिधि बनेगा गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय
तकरीबन नौ दशक से पूर्वी उत्तर प्रदेश में शिक्षा का उजियारा फैला रही गोरक्षपीठ ने गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय के रूप में नया और विशाल प्रकाश स्तम्भ तैयार कर दिया है। राष्ट्रीयता और भारतीय संस्कृति के आवरण में शिक्षा से सेवा और स्वावलंबन इसकी विशिष्ट पहचान होगी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों लोकार्पित होने जा रहा गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय सीएम एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में भारतीय ज्ञान परंपरा का युगानुकूल प्रतिनिधि बनेगा।
ज्ञान का उजियारा फैला रहा महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद
प्राथमिक से लेकर उच्च और तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में गोरक्षपीठ के अधीन सेवारत महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद द्वारा करीब चार दर्जन शैक्षिक संस्थानों का संचालन किया जाता है। मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठ के वर्तमान नेतृत्वकर्ता योगी आदित्यनाथ ने गुरु गोरखनाथ के नाम पर एकीकृत विश्वविद्यालय की परिकल्पना की और उसे साकार रूप भी दे दिया है। चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में गुरु श्री गोरक्षनाथ स्कूल ऑफ नर्सिंग की शुरुआत तो उन्होंने पहले ही कर दी थी, अब कला, विज्ञान, वाणिज्य और कृषि की उच्च शिक्षा के साथ चिकित्सा विज्ञान की विशेषतापूर्ण शिक्षा के लिए नया विश्वविद्यालय स्थापित कर दिया है। रोजगारपरक शिक्षा के नए मॉडल के रूप में विकसित हो रहे गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय में इसी सत्र से बीएएमएस की 100 सीटों पर पढ़ाई शुरू हो जाएगी। इसे लेकर भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग से मान्यता भी मिल चुकी है। इसका प्रबंधन इस विश्वविद्यालय से संबद्ध गुरु गोरखनाथ इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस की तरफ से किया जाएगा। यहां बीएससी व एमएससी नर्सिंग, पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग, एएनएम, जीएनएम में प्रवेश की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी गई है। इसी सत्र से डिप्लोमा इन लैब टेक्निशियन, डिप्लोमा इन ऑप्टोमेट्री, डिप्लोमा इन आर्थोपेडिक एंड प्लास्टर टेक्निशियन, डिप्लोमा इन इमरजेंसी एंड ट्रामा केयर टेक्निशियन, डिप्लोमा इन डायलिसिस टेक्निशियन और डिप्लोमा इन एनेस्थिसिया एंड क्रिटिकल केयर टेक्निशियन की भी प्रवेश प्रक्रिया प्रारम्भ होने जा रही है।
गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में सीएम योगी की मंशा अगले पांच सालों में एमबीबीएस समेत 30 नए, नावचरित व विशिष्ट पाठ्यक्रमों का संचालन करने की है, ताकि इस विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर उत्कृष्ट बनाया जाए। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की लोक साधना का बहुआयामी यह विश्वविद्यालय सामान्य पाठ्यक्रमों के अलावा मेडिकल व पैरा मेडिकल शिक्षा के हब के तौर पर विकसित किया जा रहा है। सभी पाठ्यक्रम वर्तमान एवं भविष्य के युग की आवश्यकता के अनुसार होंगे लेकिन इसमें पूरी तरह भारतीयता का पुट होगा।
गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय में इन प्रकल्पों का भी उद्घाटन करेंगे राष्ट्रपति
- नर्सिंग कॉलेज के सुसज्जित भवन का
- सुसज्जित व अत्याधुनिक उपकरणों से युक्त 200 बेड के महंत दिग्विजयनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय भवन का
- आयुर्वेद कॉलेज का भव्य व सुसज्जित भवन
-380 नर्सिंग छात्राओं की आवासीय सुविधा वाले मां पाटेश्वरी सेवाश्रम (छात्रावास) का - योगिराज बाबा गम्भीरनाथ अतिथिगृह















