गोरखपुर महोत्सव में अलका याग्निक से ज्यादा सुर्खियां बटोर रहीं प्रशासन की ‘वीआईपी’ कुर्सियां

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गोरखपुर। फ़िल्म इंडस्ट्री में सिंगर अलका याग्निक का बड़ा नाम है। बात लाइव शो की हो भीड़ जुटना लाजमी भी है। 11 जनवरी की रात गोरखपुर महोत्सव में उनके शो में दर्शक तो जुटे लेकिन अफसरान के ‘वीआईपी’ इंतजाम में आगे वाली कतार में वो अता-पता-लापता हो गए। आगे की सफेद लिबास में लिपटी तमाम कुर्सियां खाली पड़ी रह गईं। मसला ये था, शहर की आम जनता भेड़िया -धसान में उचक-उचक कर पीछे से तालियां पीटती रही। आगे की तमाम सीटें तसरीफ के अभाव में घुटती रहीं। खैर, कार्यक्रम तो जैसे-तैसे निपट गया पर चर्चा जरूर गर्म हो गई।

शहर के अखबारों से लेकर सोशल मीडिया तक में अलका याग्निक से ज्यादा इन खाली कुर्सियों की बात हो रही है। महोत्सव के इंतजाम में लगे अफसरों ने खूब वीआईपी पास बाटे हैं, लेकिन किसको? ये जानने की उत्सुकता हर शहरवासी के मन में है। लोग सोच रहे हैं कि ये वीआईपी गए कहां? कहा जा रहा है जब महोत्सव में मेहनत अफसर कर रहें तो मजे जनता लूटेगी। आखिर उनके भी तो नात-रिश्तेदार हैं। गनीमत है दूसरे दिन रविवार को कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव ने अफसरों की ‘इज्जत’ बचा ली।

गोरखपुर के वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप श्रीवास्तव के फेसबुक वाल से

ये भी जले भुने हैं इनकी पीड़ा भी पढ़ लीजिए

#गोरखपुर_महोत्सव और #VVIPपास की कहानी –
माफ करियेगा साथियों अपनी एक छोटी सी व्यथा और एक उसपर एक छोटा सा सुझाव लिखना पड़ रहा है…
मित्रो आज से गोरखपुर महोत्सव का आगाज हो रहा है जिसका प्रबंधन एवम संचालन गोरखपुर जिले का प्रशासनिक अमला मिलकर सरकारी खजाने से करता है !
निश्चित रूप से ऐसे महोत्सव होने चाहिए जिससे गोरखपुर परिक्षेत्र के स्थानीय प्रतिभाओं के लिए एक मंच सुलभ होता है ढेर सारी छिपी हुई प्रतिभाएं निखर सामने आती है और सुदूर देश के कोने कोने से आये कलाकारों के माध्यम से गोरखपुर की जनता का मनोरंजन भी होता है यह रहा सकारात्मक पहलू…!
अब इस पहलू के इतर एक पक्ष और भी है जो ऐसे सरकारी महोत्सव जिनमे तथाकथित प्रतिष्ठित एवम विशिष्ट वर्ग एवम सामाजिक रूप से सामान्य वर्ग के बीच एक दरार या यूं कहे खाई खोदने का भी काम करता है !
सुबह से तमाम शुभचिंतको के फ़ोन आ चुके “VVIP पास” के लिए… “नेता जी पसवा मिली कि नाई हमनी के”
मन में बड़ा कष्ट हुआ कि आखिर इसकी जरूरत ही क्यों पड़ रही…
फिलहाल तो मैं गोरखपुर में नही हूँ लेकिन मित्रो की इच्छापुर्ति के लिए मैने कुछ संभ्रांत लोगो, मीडिया से जुड़े लोगों, कुछ व्यापारियों को फ़ोन घुमाया “VVIP पास” के लिए तो तमाम सुभाषित श्लोको से प्रशासन को नवाजते हुए फ़ोन रख दिये!
इतने में एक शुभचिंतक ने फोन किया कि भाई साहब आपके लिए दो “VVIP पास” सुरक्षित रखा हूँ आप ले लीजिए…
तब से मन में यही द्वंद है कि घर से गोरखपुर महोत्सव के लिए निकलू की नही…?
अब वह दो “VVIP पास” किसे दूँ और किसे न देकर नाराज कर दूं ??
मित्रो मेरा अपना विचार है ऐसे सार्वजनिक और सरकारी महोत्सव जिस उद्देश्य से किये जाते है वह लक्ष्य सिद्ध तभी होगा जब VVIP कल्चर ही खत्म कर दिया जाए..
आप सुरक्षा के पुख्ते इंतजाम करिये चाक-चौकस चौबंद रखिये…. आमजन वरिष्ठजन बच्चे युवा प्रौढ़ एक साथ मनोरंजन का लुफ्त ले तब न असली आनंद आएगा भई…!
महोत्सव सबका है गोरखपुर की सारी जनता एक समान है, सभी को एक निगाह से देखा जाना चाहिए सभी एक जैसा सम्मान मिलना चाहिए…! (राजन द्विवेदी के फेसबुक वाल से)

पोस्ट: आशुतोष मिश्रा

Chai Panchayat

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View Comments

  • इस महोत्सव में केवल प्रशासन एवं स्पान्सर लोगों को ही पास दिया गया था, गोरखपुर के कला प्रेमी सफेद कुर्सियों पर बैठने के योग्य नहीं

  • वीवीआईपी और वीआईपी क्या है?
    ये जब वीवीआईपी कल्चर में लाल बत्ती को खत्म कर दिया गया है तो गोरखपुर महोत्सव में वीवीआईपी कार्ड का इतना ड्रामा क्यों चल रहा है? वीवीआईपी के लिए अलग लाइन वीआइपी के लिए अलग लाइन और जिनके पास पास ही ना हो वो कहा जाएंगे???जब सभी इन्सान समान है तो कार्ड का क्यों इतना मसला है क्या ये सही आपको क्या लगता है

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