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अस्पताल के बहाने सांसद के ‘उपचार’ की तैयारी

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• आपस में लड़ रहे कमेटी के साझेदार, प्रशासन पर भी फूटा ठीकरा
• कमलेश पासवान को कहे अपशब्द, अब रख रहे अपना—अपना पक्ष

गोरखपुर। छात्रसंघ चौराहे पर स्थित पैनिसियां हॉस्पिटल सुर्खियों में हैं। दो दिनों से तमाम अखबारों में डाइरेक्टर पद के विवाद को लेकर खबर बन रही है। डाइरेक्टर पदों पर आसीन लोग दो गुटों में बंट गए हैं। हिस्सेदारी को लेकर रस्साकसी जारी है। इन सब के बीच बांसगांव के सांसद कमलेश पासवान को बोर्ड आफ डाइरेक्टर का मेंबर बनाने से माहौल गर्म हो गया। सोमवार की दोपहर अस्पताल के भीतर सांसद सहित अन्य लोग मौजूद थे। तभी दूसरे पक्ष ने वहां पहुंचकर हंगामा शुरू कर दिया। चारों तरफ पहले से मोबाइल फोन लेकर तैयार बैठे लोग वीडियो बनाने लगे। अब उसी वीडियो का एक हिस्सा तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में तीन—चार लोग सामने खड़े दो लोगों को फटकार रहे हैं। बातचीत के दौरान अचानक सांसद कमलेश पासवान भीतर से निकलकर बाहर आते है। फिर बकझक कर रहे लोगों को अंदर जाने की बात कहते हुए अस्पताल में चले जाते हैं। पहले से कहासुनी कर रहे लोगों के बीच एक व्यक्ति जोर से चिल्लाते हुए सांसद को जाति सूचक अपशब्द कहता है। इसके बाद पुलिस की भूमिका भी शुरू हो जाती है। पुलिस दोनों पक्षों को लेकर थाने चली जाती है। शांति भंग में पाबंदी के पहले ही विवाद कर रहे लोग आपस में राय—मशविरा करके अगले दिन सिटी मजिस्ट्रेट के दफ्तर में पंचायत करने की बात करके चले गए। लेकिन अचानक आधी रात को अस्पताल पहुंचे डीएम और एसएसपी सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी हॉस्पिटल को सील कर देते हैं। इन सब बातों के बीच सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक हलके में खूब सरगर्मी है। कहा जा रहा है कि सांसद के विरोधी पैनेसिया के बहाने सांसद का ही ‘उपचार’ करना चाहते हैं।

मंगलवार थाने पहुंची दोनों की तहरीर
हालांकि रात में अस्पताल सील होने के बाद से सीन ही बदल गया। मंगलवार की दोपहर विजय पांडेय ने सांसद कमलेश पासवान, अस्पताल के डॉ. प्रमोद सिंह सहित अन्य के खिलाफ अस्पताल में क्ब्जा करने, राजनीति धौंस दिखाने सहित आरोप लगाते हुए कैंट पुलिस को तहरीर दी। इसके चंद घंटे के बाद सांसद कमलेश पासवान की तरफ से एक तहरीर अधिकारियों तक पहुंची। उसमें कहा गया कि हॉस्पिटल के विवाद में उनको जाति सूचक अपशब्द कहे गए। नई दरख्वास्त देखकर अधिकारी भी घनचक्कर हो गए। फिलहाल किसी की तरफ से कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। आरोप—प्रत्यारोप का दौर चलता रहा। उधर अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों की सांसें भी अटकी रहीं।

फिर आया नया मोड़, सबने रखी अपनी बात
पहले तो यह जान लीजिए कि अस्पताल के डाइरेक्टर ग्रुप में शामिल लोग दो ग्रुप में बंट चुके हैं। तभी विवाद ने उफान लिया है। 65 प्रतिशत शेयर का दावा करते हुए डॉ. प्रमोद सिंह ने अपने साथ सांसद कमलेश पासवान को जोड़ लिया। दूसरे पक्ष के विजय पांडेय सहित अन्य लोग डॉक्टर प्रमोद को फर्जी बताते हुए कमलेश पासवान पर राजनीति पहुंच के जरिए अस्पताल कब्जाने का आरोप लगाया है। तो दूसरी तरफ वायरल वीडियो के आधार पर सांसद ने विजय पांडेय पक्ष पर जानबूझकर बवाल की साजिश रचने, लोगों को उकसाते हुए मारपीट कराने की कोशिश करने और अनुसूचित जाति के सांसद को अपशब्द करने का मामला उठाया। उनकी भी देर शाम तक पुलिस अधिकारियों तक पहुंची तो बुधवार को दोनों पक्षों ने मीडिया को चाय— नाश्ता कराकर अपनी—अपनी बात रखी।

सांसद ने कहा— क्या बिजनेस करना गुनाह है
बांसगांव के सांसद कमलेश पासवान ने कहा कि उनको बार—बार टारगेट किया जा रहा है। राजनीतिक छवि धूमिल करने के​ लिए साजिश रची जाती है। उन्होंने मीडिया के सामने सवाल पूछा कि क्या किसी को बिजनेस करने का अधिकार नहीं है सांसद होने की वजह से क्या वह कोई कारोबार नहीं कर सकते हैं। हर बार, हर मामले में राजनीतिक विरोधी साजिश रचकर टारगेट बनाते हैं। सांसद ने कहा कि वीडियो के आधार पर उन्होंने तहरीर दिया। लेकिन पुलिस ने रपट नहीं दर्ज की। उन्होंने बताया कि डॉ. प्रमोद सिंह ने उनको बोर्ड आफ डाइरेक्टर का मेंबर बनाया। हॉस्पिटल से संबंधित विवाद का फैसला कोर्ट में होगा। लेकिन दूसरे पक्ष के लोग विवाद करके इस मामले को राजनीतिक तूल देने पर लगे हैं। जो लोग भी मुझे दोषी बता रहे हैं वह लोग एक बार वीडियो जरूर देख लें।


विजय बोले, भीड़ में सांसद के लोगों ने कहे अपशब्द
वीडियो में सांसद को जाति सूचक गाली देने का वीडियो सामने आने के बाद दूसरा पक्ष बैकफुट पर नजर आने लगा है। बुधवार को शास्त्री चौराहे पर विजय पांडेय उनके पक्ष के लोगों ने प्रेस कान्फ्रें​स किया। कहा कि वह लोग सामान्य तरीके से बात कर रहे थे। सांसद अपने बाहुबल से अस्पताल पर काबिज होना चाहते हैं। उनके लोगों ने ही अपशब्द कहते हुए वीडियो बनाए। फिर हम लोगों पर आरोप लगाया। विजय पांडेय और उनके पक्ष का कहना है कि सांसद गुंडागर्दी कर रहे हैं। इसलिए मुख्यमंत्री से मिलकर उनकी शिकायत दर्ज कराएंगे। कमलेश के इशारे पर प्रशासन ने अस्पताल को सील किया।


अस्पताल सील होने पर प्रशासन को ठहराया दोषी
दोनों पक्षों के झगड़े में मजेदार बात यह है कि प्रशासन ने विवाद से सुलझने तक अस्पताल को सील कर दिया। एक दिन पहले तक विजय पांडेय इसे जायज कार्रवाई बता रहे थे। अखबारों में उनका बयान भी आया था। लेकिन बुधवार को उन्होंने कहा कि कमलेश पासवान के दबाव में आकर प्रशासन ने अस्पताल को सील कर दिया। उधर कमलेश पासवान ने कहा कि अस्पताल सील करने के पहले नोटिस दी जानी चाहिए थी। कमलेश का भी कहना है कि किसी के दबाव में अस्पताल को सील किया गया। इस पूरे पचड़े में प्रशासनिक अधिकारियों की खूब फजीहत हो रही जिसे अफसर भी बिन बुलाए मुसीबत आई वाली बात मानकर टाल रहे हैं।

इनके बीच चल रहा विवाद
एक पक्ष — विजय प्रकाश पांडेय, रवि प्रकाश श्रीवास्तव, राम निवास गुप्ता और गोविंद प्रसाद।
दूसरा पक्ष— डॉ. प्रमोद सिंह, शेयर होल्डर अनिल सिंह और नए बोर्ड डाइरेक्टर में जुड़े कमलेश पासवान।

सोशल मीडिया पर जारी हमले, सांसद पर व्यक्तिगत टिप्पणी
हॉस्पिटल के बहाने कुछ लोग सांसद से अपनी खुन्नस निकालने में पीछे नहीं रह रहे। ऐसा लग रहा है कि इस बार पैनिसिया को आधार बनाकर सांसद के ‘उपचार’ की तैयारी चल रही है जिसे कुछ राजनीतिक लोग भी हवा दे रहे। इनमें एक पक्ष उन लोगों का भी है जिनका कोई नफा—नुकसान नहीं होगा। वह भी भाजपा सांसद को घेरने की कोशिश में लगे हैं। उनके बिजनेस में उतरने को लेकर काफी आरोप—प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं। कुछ तो सांसद पर व्यक्ति टिप्पणी करते हुए पिता को डाकू तो बेटे केा चोर बता रहे हैं। कुछ का कहना है कि क्षेत्र का विकास छोड़कर सांसद अपने विकास पर जोर दे रहे हैं। उन पर पार्टी, जाति और व्यक्तिगत हमले जारी हैं। हालांकि सांसद, उनके पक्ष के लोग इस संबंध में कोई टिप्पणी नहीं कर रहे। उन लोगों का कहना है कि यह सब प्रायोजित है। सांसद से जुड़े एक करीबी ने बताया कि यह साख खराब करने के लिए किया जा रहा है। कुछ ऐसे लोग भी टिप्पणी कर रहे हैं जिनके नेताओं का भूतकाल और वर्तमान लोगों को पता है। जाहिर सी बात है कि सांसद के राजनैतिक विरोधी, भीतरघाती और व्यक्तिगत खुन्नस रखने वाले भला ऐसे मौके को कैसे छोड़ देंगे।

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