गोरखपुर। सीएम योगी आदित्यनाथ की संस्थाओं ने कोरोना से फाइटिंग शुरू कर दी है। गोरखपुर में उनकी संस्थाएं भी इस लड़ाई में सामने आ गई हैं। महाराणा प्रताप पीजी कॉलेज जंगल धूसड़ में तैयार हो रहा सेनेटाइजर लोगों के घर तक पहुंचाया जा रहा है। सोमवार को कॉलेज के गोद लिए गांव मंझरियां में सेनेटाइजर का वितरण हुआ। कॉलेज की केमेस्ट्री लैब में तैयार सेनेटाइजर की सौ—सौ मिलीलीटर की पैकिंग तैयार की गई है। कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. प्रदीप राव ने बताया है कि कोरोना से बचाव के लिए पब्लिक को फ्री में सेनेटाइजर उपलब्ध कराए जाएंगे। सैनिटाइजर बांटने के साथ—साथ ही गांव के लोगों से बार-बार हाथ धोने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने और लॉकडाउन में घर से बाहर न निकलने का संकल्प भी दिलाया जा रहा है। कोरोना से बचाव में जागरूकता का यही हथियार ‘रामबाण’ बन रहा है।

पुरातन छात्रों के प्रयास से बन पाया सेनेटाइजर
कॉलेज में सेनेटाइजर बनाने के लिए कॉलेज के एल्मुनियाई मनीष कुमार त्रिपाठी और बीएचयू में केमिस्ट्री डिपार्टमेंट के डॉ.वी.रामानाथन के प्रयास से सेनेटाइजर बनाने का काम शुरू हो सका। कोरोना संकट के बीच डॉ.वी.रामानाथन ने अपने विभाग में 127 लीटर सैनिटाइजर तैयार कर वाराणसी नगर निगम को दिया था। इसकी जब जानकारी डॉ.प्रदीप राव को हुई तो उन्होंने डॉ.वी.रामानाथन से बात की। डॉ.रामानाथन, एमपीपीजी की परामर्शदात्री समिति के सदस्य भी हैं। इसलिए वह यहां पर अक्सर आते रहते हैं। डॉ.रामानाथन ने डा.प्रदीप राव को न सिर्फ सैनिटाइजर बनाने की विधि बताई। बल्कि इसके एक्सपर्ट्स भी मुहैया कराए। डॉ. वी रामानाथन के निर्देशन में रिसर्च कर रहे मनीष त्रिपाठी लॉक डाउन के पहले गोरखपुर में थे। डॉ. रामानाथन ने बताया कि मनीष आसानी से सेनेटाइजर बना सकते हैं। कॉलेज के हॉस्टल में शिफ्ट होकर उन्होंने काम शुरू कर दिया। कालेज के सुबोध मिश्र, विनय कुमार सिंह, नीलांक राव और ओमप्रकाश निषाद लैब में सहयोगी बने। सबकी मेहनत से सोमवार सुबह तक सौ-सौ एमएल की ढाई सौ शीशी सैनिटाइजर तैयार हुए।
कारगर है सेनेटाइजर, डब्ल्यूएचओ के मानक का पालन
मनीष का कहना है कि यहां तैयार सेनेटाइजर कारगर है। इसमें निश्चित मात्रा में आइसोप्रोफाइल अल्कोहल,हाइड्रोजन पाराक्साइड और ग्लीसरॉल मिलाया गया है। सैनिटाइजर को बनाने में विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) के मानकों का पूरा पालन किया जा रहा है। कालेज की प्रयोगशाला में सैनिटाइजर बनाने के लिए रसायन और तकनीक तो उपलब्ध थी। पैकिंग के लिए गोरक्षपीठ के महंत दिग्विजयनाथ आयुर्वेदिक चिकित्सालय के अधीक्षक डा.डीपी सिंह के पास मौजूद 100 एमएल की शीशी काम आई। वह इन शीशियों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक हेयर ऑयल की पैकिंग में करते हैं। डॉ.प्रदीप राव ने डॉ.डीपी सिंह से बात की तो उन्होंने पैकिंग के लिए शीशी उपलब्ध करा दी। सोमवार को मंझरियां में घर—घर सेनेटाइजर का वितरण सफल हुआ।
