गोरखपुर। विश्वविद्यालय की छात्रा की मौत की गुत्थी सुलझाने के लिए मंगलवार को लखनऊ से आई एफएसएल टीम ने घटना का री क्रिएशन किया। पता चला कि ट्यूबलाइट के जिस हुक से छात्रा का शव लटक रहा था वह हुक काफी मजबूत है। छात्रा की वजह से दूने का भार वह उठा सकता है। हर एंगिल से जांच करने बाद टीम लखनऊ लौट गई। दो से तीन दिन में रिपोर्ट आने के बाद यह तय होगा कि एफएसएल टीम इस घटना को लेकर क्या राय रखती है? उधर, पीएम रिपोर्ट के आधार पर इसे आत्महत्या बताया जा चुका है लेकिन परिवारीजन हत्या के आरोप पर अड़े हुए हैं। पिता ने गृह विभाग विभागाध्यक्ष और उनके सहयोगियों पर कैंट थाने में हत्या का केस दर्ज कराया है।
31 जुलाई को दुप्पटे के फंदे से झूलता मिला था शव
गृह विभान विभाग में स्टोर रूम के पास 31 जुलाई को बीएससी गृह विज्ञान तृतीय वर्ष की छात्रा प्रियंका का शव फंदे से लटकता मिला था। लखनऊ से आई एफएसएल टीम ने घटनास्थल की बारीकी से छानबीन की। डमी के सहारे टीम ने घटना का री-क्रिएशन किया। मंगलवार की सुबह 9.35 बजे लखनऊ फोरेंसिक साइंस लैब की टीम और स्थानीय वैज्ञानिक अधिकारी की टीम गृह विज्ञान विभाग पहुंची। इस दौरान विवेचक सीओ जगत राम कन्नौजिया के साथ कैंट की पुलिस भी मौजूद रही। घटना के बाद से ही सील चल रहे विभाग और घटनास्थल के स्टोर रूम का ताला खुलवाया गया। टीम द्वारा दीक्षा भवन स्थित छात्रा के परीक्षा कक्ष से लगायत शव स्थल (घटनास्थल स्टोर रूम गृह विज्ञान विभाग) का बारीकी से निरीक्षण किया। प्रियंका के शव के वजन के बराबर की डमी पर घटना का री-क्रिएशन किया गया। इस दौरान यह जानने का प्रयास किया गया कि ट्यूबलाइट हुक उस डमी का वजन उठाने में सक्षम है या नहीं। घटनास्थल पर एक-एक कदम की माप की गयी। ट्यूबलाइट हुक में लगे फंदे और छात्रा प्रियंका के गले में लगे फंदे, छात्रा की लंबाई, हैंगिंग हुक की ऊंचाई, आदि की इंचटेप से माप ली गई। इस दौरान एक-एक प्रक्रिया की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी कराई गई। टीम तकरीबन डेढ़ घंटे विश्वविद्यालय परिसर रही और घटनास्थल से वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाने के बाद चली गई। टीम द्वारा दो से तीन दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद पता चल जाएगा कि प्रियंका की हत्या हुई थी या फिर उसने आत्महत्या की थी।
