दिनचर्या को बदलकर बढ़ा सकते हैं तंदरुस्ती, डॉक्टरों ने बताए उपाय : कैसे रह सकते हैं सेहतमंद

0
1460

गोररखपुर। गंगोत्री देवी स्कूल ऑफ़ नर्सिंग की तरफ से कॉलेज सभागार में शुक्रवार को वरिष्ठ चिकित्सकों की टीम ने स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. एके पांडेय, चिकित्साधिकारी मदनमोहन मालवीय प्रोधोगिक विश्वविद्यालय, विशिष्ट अतिथि स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मधुबाला रहीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजसेवी रीना त्रिपाठी ने किया।

कार्यक्रम का संचालन कॉलेज के व्यवस्थापक आशुतोष मिश्र ने किया। इस अवसर पर डॉ. राम प्रताप विश्वकर्मा, नर्सिंग कॉलेज की प्राचार्या लोरिटा याकूब, डिग्री कॉलेज की प्राचार्या डॉ. पूनम शुक्ला, डॉ. प्रियंका त्रिपाठी, श्वेता रावत,नीतू यादव, विभा जोशुवा, आराधना यादव समेत अन्य स्टॉफ मौजूद रहे। इस अवसर पर आगन्तुक अतिथिगण और कॉलेज के व्यवस्थापक आशुतोष मिश्र को हेल्थ अवेयरनेस एवार्ड से सम्मानित किया गया।
मुख्य अतिथि डॉ. एके पांडेय ने कहा कि हमें आत्म-प्रेरणा के साथ ही तंदरुस्ती की जीवन-शैली वाली गतिविधियों में भाग लेने की आवश्यकता होती है। हमें अपने स्वास्थ्य को प्रतिदिन की दिनचर्या के रुप में लेना चाहिए। स्वस्थ्य जीवन शैली के लिए स्वस्थ्य रहना हमारा सबसे बड़ा और पहला उद्देश्य होना चाहिए। इसके लिए घंटों व्यायाम की जरुरत नहीं है, नियमित रुप से प्रतिदिन थोड़ा-सा व्यायाम और स्वस्थ भोजन स्वास्थ्य और तंदरुस्ती को बनाए रखने के लिए पर्याप्त है। नियमित शारीरिक व्यायाम में शामिल होना न केवल हमें तंदरुस्त रखता है, बल्कि हमारी जीवन-शैली और स्वस्थ जीवन में भी सुधार करता है। यह हमारे ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है और इस प्रकार, हमारे आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है। हमें सुबह के घूमने, दौड़ने, व्यायाम करने, अन्य शारीरिक गतिविधियों का शरीर के कार्यकरण को ठीक से कार्य कराने के साथ ही मांसपेशियों में सुधार करने के समय का आनंद लेना चाहिए। हमें पाचन संबंधी विकारों से दूर रहने के लिए, रखे हुए या पैक भोजन के स्थान पर ताजा बने हुए भोजन को करना चाहिए। स्वास्थ पर मनुष्य का न सिर्फ मानसिक विकास निर्भर करता है, शारीरिक, बल्कि व्यक्ति की सफलता और प्रगति भी निर्भर करती है। जाहिर है कि एक पूर्ण रुप से स्वस्थ व्यक्ति ही अपने जीवन के लक्ष्यों को हासिल कर सकता है और अपने परिवार एवं आसपास के वातावरण को आनंदित कर सकता है।


अच्छा स्वास्थ्य, व्यक्ति को सकारात्मक बनाने में मद्द करता है, जबकि बीमार और अस्वस्थ व्यक्ति खुद को असहाय समझने लगता है और निगेटिविटी से भर जाता है। सही मायने में एक स्वस्थ व्यक्ति वही माना जाता है कि, जो कि किसी भी तरह की शारीरिक बीमारियों और मानसिक तनाव से मुक्त होता है। स्वस्थ्य शरीर में ही स्वस्थ और अच्छी सोच विकसित होती है। इसलिए सफल और आनंदित जीवन के लिए अच्छे स्वास्थ्य का होना काफी महत्वपूर्ण है।

डॉ. पांडेय ने स्वास्थ के विभिन्न विधाओं पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि डॉ. मधुबाला ने महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति नर्सिंग छात्राओं को सचेत रहने को कहा। उन्होंने कहा कि समय के साथ स्वास्थ्य का परिभाषा भी विकसित हुई है। पहले अच्छे स्वास्थ्य को शरीर का अच्छी तरह से काम करने की क्षमता से जोड़ा जाता था। हालांकि बाद में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक स्वास्थ्य शरीर उसे माना जो कि शारीरिक मानसिक, सामाजिक रुप से स्वस्थ हो। इसके बाद स्वास्थ्य को लेकर कई रिसर्च हुईं और आज एक पूर्ण रुप से स्वस्थ व्यक्ति उसे माना जाता है, जो कि मानसिक, शारीरिक और सामाजिक विकास के साथ-साथ, आध्यात्मिक और संज्ञानात्मक रुप से भी स्वस्थ होता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही वरिष्ठ समाजसेवी रीना त्रिपाठी ने कहा कि एक पूर्ण रुप से स्वस्थ व्यक्ति ही अपने जीवन के उद्देश्यों को पाने में सफल होते हैं, अर्थात मनुष्य के स्वास्थ्य पर ही उसका पूरा जीवन, करियर एवं सफलता निर्भर करती है। स्वास्थ्य, मानव जीवन का मूल आधार होता है, जो कि मनुष्य को अपने जीवन के कार्यों को करने के लिए प्रेरित करता है। स्वास्थ्य और सफलता का गहरा नाता है। कई विद्धानों ने भी स्वास्थ्य को धन कहा है। एक पूर्ण रुप से स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क वास करता है, जिससे मनुष्य सफलता की तरफ अग्रसर होता है और अपने उद्देश्यों को हासिल कर पाता है। उन्होंने नर्सिंग की छात्राओं को कड़ी मेहनत के साथ सफलता के टिप्स दिए। कार्यक्रम के अंत में नर्सिंग स्कूल की प्राचार्या लोरिटा याकूब ने आगन्तुकों का आभार व्यक्त किया।

Leave a Reply